Wednesday 3 April 2019

कांग्रेस का घोषणा पत्र..... एक आकलन

कांग्रेस का घोषणापत्र: देश के विरोध में बोलना करना अपराध नहीं होगा
   दिनांक 02-अप्रैल-2019

कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है

कांग्रेस ने वर्ष 2019 के आम चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस ने इसे जनआवाज नाम दिया है और इसका शीर्षक रखा है ‘हम निभायेंगे’। पूरे घोषणापत्र पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। पूरे घोषणापत्र से तीन बिंदु सामने आते हैं,
1. नेहरू-इंदिरा काल के नारों के बाद कांग्रेस का कोई बौद्धिक-मानसिक विकास नहीं हुआ है। घोषणापत्र में जो भी घोषणाएं हैं, वे उन्हीं नारों को पूरा करने के लिए हैं जो नेहरू-इंदिरा काल में गढ़ी गयी थीं और जिन्हें कांग्रेस आज तक निभा नहीं पायी। यह दीगर है कि कांग्रेस ने घोषणापत्र का शीर्षक ‘हम निभायेंगे’ रखा है। शायद यह शीर्षक इस ग्लानिभाव का प्रकटीकरण है कि आज तक नहीं निभाया, जनता एक बार फिर मौका दे तो निभाने की कोशिश करेंगे।
2. जनआवाज नाम से इस घोषणापत्र में शुरुआत में यह बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कोने-कोने में लोगों से मुलाकात की और उनकी आवाज को इस घोषणापत्र में शामिल किया गया। लेकिन घोषणापत्र देखने से साफ होता है कि जो अधिकांश नयी बातें वही हैं जो नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही कर चुकी है या कर रही है।
3. घोषणापत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा, जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है और सेना के प्रति कांग्रेस के मन में अविश्वास है और देश विरोधी बातें करना कांग्रेस की नजर में कोई अपराध नहीं है।
सबसे पहले आते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर संबंधी नीतियों पर। कांग्रेस ने राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात कही है। विगत 15 वर्षों (10 वर्ष यूपीए सरकार+5 वर्ष एनडीए सरकार) में देश ने देखा कि किस तरह कांग्रेसी नेताओं महज वोट बैंक के चक्कर में हिंदू आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा, इस सिद्धांत को साबित करने के लिए राष्ट्रप्रेमी सैन्यकर्मियों और हिंदू धर्म के संतों को साजिशन फंसाया। इसके अलावा, कांग्रेस के बौद्धिक खुराक में सहगामी वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सीधे-सीधे देश के टुकड़े करने के नारे लगाये और कांग्रेस किस तरह इनकी तरफदारी करती नजर आयी, यह देश ने देखा। राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन की बात इसी मानसिकता के पोषण के लिए है। निश्चित तौर पर देश की जनता देश के टुकड़े करने के पक्ष में नहीं है और राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात जनआवाज न होकर कांग्रेस में घर कर गयी देश विरोधी मानसिकता का सबूत है।
इसी तरह उग्रवाद ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट (अफस्पा) यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट की समीक्षा की बात भी कांग्रेस के घोषणापत्र में कही गयी है जो स्पष्ट रूप से उग्रवादी कार्रवाइयों से निपटने में सेना के पंख कतरने जैसी बात है। कांग्रेस सत्ता में आने पर नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने का भी वादा करती है यानी पूर्व की तरह बांग्लादेशी मुसलमानों के भारत में घुसपैठ से देश की जनांकिकी बदले जाने को कांग्रेस संकट मानने की बजाय अपने चुनावी लाभ के अनुकूल मानती है।
कांग्रेस ने बड़े छिपे ढंग से रोहिंग्या मुसलमानों की भी तरफदारी अपने घोषणापत्र में की है। वह शरणार्थियों के शरण देने के मामले में देश हित को नजरअंदाज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की आड़ लेती दिखती है। सेना के मामले में एक दिलचस्प घोषणा यह है कि कांग्रेस ने वन रैंक वन पेंशन पर वादा निभाने की बात की है जिसे यूपीए शासनकाल में पूरा न किये जाने पर मोदी सरकार ने लागू किया है। अब कांग्रेस इसमें विसंगतियां दूर करने की बात कर रही है।
आतंकवाद, खासकर सीमापार आतंकवाद पर कांग्रेस कोई नयी सोच पेश करने में विफल रही है। उसने मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे कार्य को ही दूसरे शब्दों में अपने घोषणापत्र में शामिल किया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि कांग्रेस दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद का विरोध करती है और आतंकवादी गुटों, आतंकवादी घटनाओं और सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने का वायदा करती है। हम संयुक्त राष्ट्र को आतंकवादियों की सूची की लगातार समीक्षा करने और प्रतिबन्धों के दायर का विस्तार करने के लिए राजी करेंगे।
घोषणापत्र कहता है कि हम दुनिया के आम देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये। हम दुनिया के अन्य देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये।
कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र नौजवानों, किसानों और गरीबों का वोट लेने के मद्देनजर बनाया है। नौजवानों को 22 लाख सरकारी पदों पर भर्ती का झुनझुना पकड़ाया गया है। लेकिन कांग्रेस घोषणापत्र में यह कहीं नहीं बताया गया है कि सत्ता में आने पर हर वर्ष रोजगार के लिए तैयार होने वाले नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन वह कैसे करेगी। इस संदर्भ में एक हास्यास्पद बात कही गयी है कि कंपनियों द्वारा विद्यार्थियों को कराये जाने वाले अप्रैंटिसशिप को रोजगार माना जायेगा और कंपनियों से कहा जायेगा कि जगह बनने पर वे अपने यहां अप्रैंटिसशिप किये अभ्यर्थियों को समायोजित करें। इसके अलावा रोजगार सृजन के लिए कांग्रेस मोदी सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी ने लागू नीतियों पर निर्भर है। स्पष्ट है रोजगार के मोर्चे पर कांग्रेस के पास कोई विजन नहीं है।
कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए दो बड़ी बातें कहीं हैं, एक तो यह कि वह रेल बजट की तर्ज पर कृषि के लिए अलग से बजट लायेगी। दूसरे यह कि किसानों द्वारा कर्ज अदायगी न किये जाने पर उसे क्रिमिनल अफेंस की बजाय सिविल अफेंस माना जायेगा। इसके अलावा कांग्रेस घोषणापत्र में मोदी सरकार पर फसल समर्थन मूल्य न बढ़ाने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद की कृषि और किसान संबंधी सारी बातें वहीं हैं जो मोदी सरकार पहले ही क्रियान्वित कर रही है। ग्रामीण आबादी को झुनझुना पकड़ाने के लिए कांग्रेस ने मनरेगा में 100 दिन की बजाय अब 150 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने की बात कही है। इस बात से स्पष्ट है कि कांग्रेस नौजवानों का कौशल विकसित कर उन्हें आगे बढ़ाने की बजाय महज दान पर जिलाना चाहती है और देश की उत्पादकता से कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है।
यही ध्वनि न्यूनतम आय गारंटी योजना से भी आती है। न्यूनतम आय गारंटी योजना से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस नेहरू-इंदिरा काल के बाद नये भारत के अनुरूप अपने दृष्टिकोण में कोई विकास नहीं कर पायी है और थक-हार कर पांच दशक पुराने गरीबी उन्मूलन के नारे-वादे पर ही आज भी सत्ता में आने के सपने संजो रही है। हालांकि गरीबी उन्मूलन के लिए फिर से वादा करना यह भी बताता है कि कांग्रेस ने आज तक कितना निभाया।

साभार 

Sunday 21 May 2017

यही जिंदगी है...??

थोड़ा सा वक्त निकालो वरना..

ज़िंदगी के 20 वर्ष हवा की तरह उड़ जाते हैं.! फिर शुरू होती है नौकरी की खोज.!
ये नहीं वो, दू...र नहीं पास.
ऐसा करते 2-3 नौकरीयां छोड़ते पकड़ते,
अंत में एक तय होती है, और ज़िंदगी में थोड़ी स्थिरता की शुरूआत होती है. !

और हाथ में आता है पहली तनख्वाह का चेक, वह बैंक में जमा होता है और शुरू होता है... अकाउंट में जमा होने वाले कुछ शून्यों का अंतहीन खेल..!

इस तरह 2-3 वर्ष निकल जाते हैँ.!
'वो' स्थिर होता है.

बैंक में कुछ और शून्य जमा हो जाते हैं.
इतने में अपनी उम्र के पच्चीस वर्ष हो जाते हैं.!

विवाह की चर्चा शुरू हो जाती है. एक खुद की या माता पिता की पसंद की लड़की से यथा समय विवाह होता है और ज़िंदगी की राम कहानी शुरू हो जाती है.!
शादी के पहले 2-3 साल नर्म, गुलाबी, रसीले और सपनीले गुज़रते हैं.!
हाथों में हाथ डालकर बातें और रंग बिरंगे सपने.!
पर ये दिन जल्दी ही उड़ जाते हैं और इसी समय शायद बैंक में कुछ शून्य कम होते हैं.!
क्योंकि थोड़ी मौजमस्ती, घूमना फिरना, खरीदी होती है.!

और फिर धीरे से बच्चे के आने की आहट होती है और वर्ष भर में पालना झूलने लगता है.!
सारा ध्यान अब बच्चे पर केंद्रित हो जाता है.! उसका खाना पीना , उठना बैठना, शु-शु, पाॅटी, उसके खिलौने, कपड़े और उसका लाड़ दुलार.!
समय कैसे फटाफट निकल जाता है, पता ही नहीं चलता.!
इन सब में कब इसका हाथ उसके हाथ से निकल गया, बातें करना, घूमना फिरना कब बंद हो गया, दोनों को ही पता नहीं चला..?

इसी तरह उसकी सुबह होती गयी और बच्चा बड़ा होता गया...
वो बच्चे में व्यस्त होती गई और ये अपने काम में.!
घर की किस्त, गाड़ी की किस्त और बच्चे की ज़िम्मेदारी, उसकी शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शून्य बढ़ाने का टेंशन.!
उसने पूरी तरह से अपने आपको काम में झोंक दिया.!
बच्चे का स्कूल में एॅडमिशन हुआ और वह बड़ा होने लगा.!
उसका पूरा समय बच्चे के साथ बीतने लगा.!
इतने में वो पैंतीस का हो गया.!
खूद का घर, गाड़ी और बैंक में कई सारे शून्य.!

फिर भी कुछ कमी है..?
पर वो क्या है समझ में नहीं आता..!

इस तरह उसकी चिड़-चिड़ बढ़ती जाती है और ये भी उदासीन रहने लगता है।
दिन पर दिन बीतते गए, बच्चा बड़ा होता गया और उसका खुद का एक संसार तैयार हो गया.! उसकी दसवीं आई और चली गयी.!
तब तक दोनों ही चालीस के हो गए.!
बैंक में शून्य बढ़ता ही जा रहा है.!

एक नितांत एकांत क्षण में उसे वो गुज़रे दिन याद आते हैं और वो मौका देखकर उससे कहता है,
"अरे ज़रा यहां आओ,
पास बैठो.!"
चलो फिर एक बार हाथों में हाथ ले कर बातें करें, कहीं घूम के आएं...! उसने अजीब नज़रों से उसको देखा और कहती है,
"तुम्हें कभी भी कुछ भी सूझता है. मुझे ढेर सा काम पड़ा है और तुम्हें बातों की सूझ रही है..!" कमर में पल्लू खोंस कर वो निकल जाती है.!

और फिर आता है पैंतालीसवां साल,
आंखों पर चश्मा लग गया,
बाल अपना काला रंग छोड़ने लगे,
दिमाग में कुछ उलझनें शुरू हो जाती हैं,
बेटा अब काॅलेज में है,
बैंक में शून्य बढ़ रहे हैं, उसने अपना नाम कीर्तन मंडली में डाल दिया और...
बेटे का कालेज खत्म हो गया,
अपने पैरों पर खड़ा हो गया.!

अब उसके पर फूट गये और वो एक दिन परदेस उड़ गया...!!!

अब उसके बालों का काला रंग और कभी कभी दिमाग भी साथ छोड़ने लगा...!
उसे भी चश्मा लग गया.!
अब वो उसे उम्र दराज़ लगने लगी क्योंकि वो खुद भी बूढ़ा हो रहा था..!
पचपन के बाद साठ की ओर बढ़ना शुरू हो गया.!
बैंक में अब कितने शून्य हो गए,
उसे कुछ खबर नहीं है. बाहर आने जाने के कार्यक्रम अपने आप बंद होने लगे..!
गोली-दवाइयों का दिन और समय निश्चित होने लगा.!
डाॅक्टरों की तारीखें भी तय होने लगीं.!
बच्चे बड़े होंगे....

ये सोचकर लिया गया घर भी अब बोझ लगने लगा.
बच्चे कब वापस आएंगे,

अब बस यही हाथ रह गया था.!
और फिर वो एक दिन आता है.!
वो सोफे पर लेटा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था.!
वो शाम की दिया-बाती कर रही थी.!
वो देख रही थी कि वो सोफे पर लेटा है.!
इतने में फोन की घंटी बजी,
उसने लपक के फोन उठाया,
उस तरफ बेटा था.!

बेटा अपनी शादी की जानकारी देता है और बताता है कि अब वह परदेस में ही रहेगा..!
उसने बेटे से बैंक के शून्य के बारे में क्या करना यह पूछा..?
अब चूंकि विदेश के शून्य की तुलना में उसके शून्य बेटे के लिये शून्य हैं इसलिए उसने पिता को सलाह दी..!"
एक काम करिये, इन पैसों का ट्रस्ट बनाकर वृद्धाश्रम को दे दीजिए और खुद भी वहीं रहिये.!"
कुछ औपचारिक बातें करके बेटे ने फोन रख दिया..!
वो पुनः सोफे पर आ कर बैठ गया. उसकी भी दिया बाती खत्म होने आई थी.
उसने उसे आवाज़ दी,

"चलो आज फिर हाथों में हाथ ले के बातें करें.!"
वो तुरंत बोली,
"बस अभी आई.!"
उसे विश्वास नहीं हुआ,
चेहरा खुशी से चमक उठा,
आंखें भर आईं,
उसकी आंखों से गिरने लगे और गाल भीग गए,
अचानक आंखों की चमक फीकी हो गई और वो निस्तेज हो गया..!!
उसने शेष पूजा की और उसके पास आ कर बैठ गई, कहा,
"बोलो क्या बोल रहे थे.?"

पर उसने कुछ नहीं कहा.!
उसने उसके शरीर को छू कर देखा, शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ गया था और वो एकटक उसे देख रहा था..!
क्षण भर को वो शून्य हो गई,
"क्या करूं" उसे समझ में नहीं आया..!
लेकिन एक-दो मिनट में ही वो चैतन्य हो गई, धीरे से उठी और पूजाघर में गई.!
एक अगरबत्ती जलाई और ईश्वर को प्रणाम किया और फिर से सोफे पे आकर बैठ गई..!
उसका ठंडा हाथ हाथों में लिया और बोली,

"चलो कहां घूमने जाना है और क्या बातें करनी हैं तम्हे.!"
बोलो...!! ऐसा कहते हुए उसकी आँखें भर आईं..!
वो एकटक उसे देखती रही,
आंखों से अश्रुधारा बह निकली.!
उसका सिर उसके कंधों पर गिर गया.!
ठंडी हवा का धीमा झोंका अभी भी चल रहा था....!!

यही जिंदगी है...??
नहीं....!!!

संसाधनों का अधिक संचय न करें,
ज्यादा चिंता न करें,
सब अपना अपना नसीब ले कर आते हैं.!
अपने लिए भी जियो, वक्त निकालो..!
सुव्यवस्थित जीवन की कामना...!!
जीवन आपका है, जीना आपने ही है...!!

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Monday 21 December 2015

हमैं ना पसंद २५ Dec

🙏🏻 एक नम्र निवेदन 🙏🏻
सभी सनातनी वैष्णवों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इस बार क्रिसमस ( 25 दिसंबर ) पर अपने क्षेत्र के किसी भी मंदिर में विराजमान ठाकुर जी को क्रिसमस की ड्रेस (सांताक्लाज़ वाली) ना पहनाएं
ये हमारे सनातन हिन्दू धर्म के खिलाफ है.....!!
आखिर आप लोग क्यों व कैसे भूल जाते हैं कि हम श्रीराम व श्रीकृष्ण के वंशज हैं ना कि सूली पर लटके हुये ईसा मसीह के.....
क्या कभी आपने ईसाईयों को देखा है जन्माष्टमी, रामनवमी, शिवरात्रि, नवरात्र इत्यादि त्यौहारों पर मन्दिरो में आकर तिलक लगाकर घंटी बजाते हुये ? जो हम चर्चों में जाकर मोमबतियाँ जलायें ..... ???
सोच आपकी फैसला भी आपका.....!!
याद रखो हमारी एकता ही भक्ति की निशानी है ।।
अगर आप सच्चे सनातनी वैष्णव देशभक्त हैं तो इस मैसेज को हर भारतीय सनातनी हिन्दू तक शेयर करें ।।
ये देश हमारा है ना कि उनका जिश्ने हमै गुलाम बना के रखा
‪#‎फिरभीदिलहैहिन्दुस्तानी‬

Friday 18 September 2015

वो तीन लोग ।

एक लड़की थी रात को office से
वापस लौट रही थी

देर भी हो गई थी...
पहली बार ऐसा हुआ

और काम भी ज्यादा था तो
Time का पता ही नहीं चला

वो सीधे auto stand पहुँची
वहाँ एक लड़का खड़ा था
वो लड़की उसे देखकर डर गई

कि कहीं उल्टा सीधा ना हो जाए
तभी वो लड़का पास आया

और कहा - बहन तू
मौका नहीं जिम्मेदारी है मेरी

और जब तक तुझे कोई गाड़ी
नहीं मिल जाती

मैं तुम्हे छोड़कर
कहीं नहीं जाऊँगा
don't worry.


वहाँ से एक auto वाला
गुजर रहा था

लडकी को अकेली
लड़के के साथ देखा

तो तुरंत auto रोक दिया
और कहा -  कहाँ जाना है मैडम??

आइये मैं आपको छोड़ देता हूँ
लड़की auto में बैठ गई।

रास्ते में वो auto वाला
बोला - तुम मेरी बेटी जैसी हो ।

इतनी रात को तुम्हें अकेला देखा
तो auto रोक दिया।

आजकल जमाना खराब है ना
और अकेली लड़की मौका नहीं
जिम्मेदारी होती है।

लड़की जहाँ रहती थी
वो एरिया आ चुका था।

वो auto से उतर गई
और auto वाला चला गया।


लेकिन अब भी लड़की को
दो अंधेरी गलियों से होकर
गुजरना था

वहाँ से चलकर
जाना था

तभी वहाँ से पानीपूरी वाला
गुजर रहा था

शायद वो भी काम से
वापस घर की ओर
जा रहा था

लड़की को अकेली देखकर कहा - आओ! मैं तुम्हें घर तक छोड़ देता हूँ

उसने अपने ठेले को
वहीं छोड़कर

एक टोर्च लेकर उस लड़की के साथ
अंधेरी गली की और निकल पड़ा

वो लड़की घर पहुँच चुकी थी।

आज किसी की बेटी,
बहन सही सलामत
घर पहुँच चुकी थी।

मेरे भारत को तलाश है
ऐसे तीन लोगों की -

1) वो लडका जो
auto stand पर खडा था।

2)वो auto वाला।

और

3) वो पानीपूरी वाला।

जिस दिन ये तीन लोग
मिल जाएंगे

उस दिन मेरे भारत में
रेप होना बंद हो जाएगा

तभी आएंगे अच्छे दिन।।

Wednesday 20 May 2015

भारत में मुसलमानो के 800 वर्ष के शासन का झूठ

क्या भारत में मुसलमानो ने 800 वर्षो तक शासन किया है। सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन।
प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम से।
भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई में सिंध पर किया। राजा दाहिर पूरी शक्ति से लड़े और मुसलमानो के धोखे के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए। दूसरा हमला 735 में राजपुताना पर हुआ जब हज्जात ने सेना भेजकर बाप्पा रावल के राज्य पर आक्रमण किया। वीर बाप्पा रावल ने मुसलमानो को न केवल खदेड़ा बल्कि अफगानिस्तान तक मुस्लिम राज्यो को रौंदते हुए अरब की सीमा तक पहुँच गए। ईरान अफगानिस्तान के मुस्लिम सुल्तानों ने उन्हें अपनी पुत्रिया भेंट की और उन्होंने 35 मुस्लिम लड़कियो से विवाह करके सनातन धर्म का डंका पुन बजाया। बाप्पा रावल का इतिहास कही नहीं पढ़ाया जाता यहाँ तक की अधिकतर इतिहासकर उनका नाम भी छुपाते है। गिनती भर हिन्दू होंगे जो उनका नाम जानते है। दूसरे ही युद्ध में भारत से इस्लाम समाप्त हो चूका था। ये था भारत में पहली बार इस्लाम का नाश
अब आगे बढ़ते है गजनवी पर। बाप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालो तक वे भारत से दूर रहे। इसके बाद महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कड़ा उत्तर मिला। महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये पर 17वे युद्ध में उसे सफलता मिली थी। सोमनाथ के शिवलिंग को उसने तोडा नहीं था बल्कि उसे लूट कर वह काबा ले गया था जिसका रहस्य आपके समक्ष जल्द ही रखता हु। यहाँ से उसे शिवलिंग तो मिल गया जो चुम्बक का बना हुआ था पर खजाना नहीं मिला।
भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 100 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पकर आक्रमण न कर सका। 1098 में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज राज चौहान को 16 युद्द के बाद परास्त किया और अजमेर व् दिल्ली पर उसके गुलाम वंश के शासक जैसे कुतुबुद्दीन इल्तुमिश व् बलबन दिल्ली से आगे न बढ़ सके। उन्हें हिन्दू राजाओ के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पश्चिमी द्वारा खुला रहा जहाँ से बाद में ख़िलजी लोधी तुगलक आदि आये ख़िलजी भारत के उत्तरी भाग से होते हुए बिहार बंगाल पहुँच गए। कूच बिहार व् बंगाल में मुसलमानो का राज्य हो गया पर बिहार व् अवध प्रदेश मुसलमानो से अब भी दूर थे। शेष भारत में केवल गुजरात ही मुसलमानो के अधिकार में था। अन्य भाग स्वतन्त्र थे
1526 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी के विरुद्ध बाबर को बुलाया। बाबर ने लोधियों की सत्ता तो उखाड़ दी पर वो भारत की सम्पन्नता देख यही रुक गया और राणा सांगा को उसमे युद्ध में हरा दिया। चित्तोड़ तब भी स्वतंत्र रहा पर अब दिल्ली मुगलो के अधिकार में थी। हुमायूँ दिल्ली पर अधिकार नहीं कर पाया पर उसका बेटा अवश्य दिल्ली से आगरा के भाग पर शासन करने में सफल रहा। तब तक कश्मीर भी मुसलमानो के अधिकार में आ चूका था। अकबर पुरे जीवन महाराणा प्रताप से युद्ध में व्यस्त रहा जो बाप्पा रावल के ही वंशज थे और उदय सिंह के पुत्र थे जिनके पूर्वजो ने 700 सालो तक मुस्लिम आक्रमणकारियो का सफलतापूर्वक सामना किया।
जहाँहुर व् शाहजहाँ भी राजपूतो से युद्धों में व्यस्त रहे व् भारत के बाकी भाग पर राज्य न कर पाये। दक्षिण में बीजापुर में तब तक इस्लाम शासन स्थापित हो चुका था। औरंगजेब के समय में मराठा शक्ति का उदय हुआ और शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओ ने मुगलो की जड़े खोद डाली। शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य को बाजीराव पेशवा ने भारत में हिमाचल बंगाल और पुरे दक्षिण में फैलाया। दिल्ली में उन्होंने आक्रमण से पहले गौरी शंकर भगवान् से मन्नत मांगी थी की यदि वे सफल रहे तो चांदनी चौक में वे भव्य मंदिर बनाएंगे जहाँ कभी पीपल के पेड़ के नीचे 5 शिवलिंग रखे थे। बाजीराव ने दिल्ली पर अधिकार किया और गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया जिसका प्रमाण मंदिर के बाहर उनके नाम का लगा हुआ शिलालेख है। बाजीराव पेशवा ने एक शक्तिशाली हिन्दुराष्ट्र की स्थापन की जो 1830 तक अंग्रेजो के आने तक स्थापित रहा। मुगल सुल्तान मराठाओ को चौथ व् कर देते रहे और केवल लालकिले तक सिमित रह गए। और वे तब तक शक्तिहीन रहे जब तक अंग्रेज भारत में नहीं आ गए। 1760 के बाद भारत में मुस्लिम जनसँख्या में जबरदस्त गिरावट हुई जो 1800 तक मात्र 7 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। अंग्रेजो के आने के बाद मुसल्मानो को संजीवनी मिली और पुन इस्लाम को खड़ा किया गया ताकि भारत में सनातन धर्म को नष्ट किया जा सके इसलिए अंग्रेजो ने 50 साल से अधिक समय से पहले ही मुसलमानो के सहारे भारत विभाजन का षड्यंत्र रच लिया था। मुसलमानो के हिन्दुविरोधी रवैये व् उनके धार्मिक जूनून को अंग्रेजो ने सही से प्रयोग किया।
असल में पूरी दुनिया में मुस्लिम कौम सबसे मुर्ख कौम है जिसे कभी ईसाइयो ने कभी यहूदियो ने कभी अंग्रेजो ने अपने लाभ के लिए प्रयोग किया। आज उन्ही मुसलमानो को पाकिस्तान में हमारी एजेंसीज अपने लाभ के लियर प्रयोग करती है जिस पर अधिक जानने के लिए अगली पोस्ट की प्रतीक्षा करे।
ये झूठ इतिहास क्यों पढ़ाया गया।
असल में हिन्दुओ पर 1200 सालो के निरंतर आक्रमण के बाद भी जब भारत पर इस्लामिक शासन स्थापित नहीं हुआ और न ही अंग्रेज इस देश को पूरा समाप्त करे तो उन्होंने शिक्षा को अपना अस्त्र बनाया और इतिहास में फेरबदल किये। अब हिन्दुओ की मानसिकता को बसलन है तो उन्हें ये बताना होगा की तुम गुलाम हो। लगातार जब यही भाव हिन्दुओ में होगा तो वे स्वयं को कमजोर और अत्याचारी को शक्तिशाली समझेंगे। अत: भारत के हिन्दुओ को मानसिक गुलाम बनाया गया जिसके लिए झूठे इतिहास का सहारा लिया गया और परिणाम सामने है। लुटेरे और चोरो को आज हम बादशाह सुलतान नामो से पुकारते है उनके नाम पर सड़के बनाते है शहरो के नाम रखते है है और उसका कोई हिन्दू विरोध भी नहीं करता जो बिना गुलाम मानसिकता के संभव नहीं सकता था 
इसलिए इतिहास बदलो
मन बदलो
और गुलाम बनाओ
यही आज तक होता आया है
जिसे हमने मित्र माना वही अंत में हमारी पीठ पर वार करता है। इसलिए झूठे इतिहास और झुठर मित्र दोनों से सावधान रहने की आवश्यकता है।
शेयर अवश्य करे।
क्या पता आप अपने किसी मित्र के मन से ये गुलामी का भाव निकाल दे की हम कभी किसी के दास नहीं बल्कि शक्तिशाली थे जिन्होंने 1200 सालो तक विदेशी मुस्लिम लुटेरो और अंग्रेजो का सामना किया और आज भी जीवित बचे हुए है।

Sunday 17 May 2015

सेकुलर की सीख

एक दिन एक कौवे के बच्चे ने कौवे से कहा कि हमने लगभग हर चार पैर वाले जीव का माँस खाया है, मगर आज तक दो पैर पर चलने वाले जीव का माँस नहीं खाया है..
पापा कैसा होता है इंसानों का माँस ?
कौवे ने कहा मैंने भी जीवन में तीन बार ही खाया है, बहुत ही स्वादिष्ट होता है..
कौवे के बच्चे ने कहा तो आज मुझे भी खाना है..
कौवे ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा चलो खिला देता हूँ..
बस मैं जैसा जैसा मैं कह रहा हूँ तुम भी वैसे ही करना..
मैंने भी ये तरीका अपने पुरखों से ही सीखा है..
कौवे ने अपने बेटे को एक जगह रुकने को कहा और थोड़ी देर बाद माँस के दो टुकड़े उठा लाया..
कौवे के बच्चे ने खाया तो कहा की ये तो जानवर के माँस जैसा लग रहा है..
कौवे ने कहा अरे ये खाने के लिए नहीं है..
इससे तो ढेर सारा माँस बनाया जा सकता है..
जैसे दही जमाने के लिए थोड़ा सा दही दूध में डाल कर छोड़ दिया जाता है,
वैसे ही इसे कहीं-कहीं छोड़ कर आना है..
बस फिर देखना कल तक कितना स्वादिष्ट माँस मिलेगा, और वो भी मनुष्य का..
कौवे के बच्चे को बात समझ में नहीं आई मगर वो कौवे का
जादू देखने के लिए उत्सुक था तो वो कौवे के पीछे पीछे चलता चला गया ..
कौवे ने उन दो माँस के टुकड़ों में से एक टुकड़ा एक मंदिर में और दूसरा पास की एक मस्जिद में गिरा दिया..
तब तक शाम हो चली थी, कौवे ने कहा अब कल सुबह तक हम सभी को ढेर सारा दो पैर वाले जीव का माँस मिलने वाला है.
बस फिर क्या ......... सुबह सवेरे कौवे और उसके बच्चे ने देखा तो सचमुच गली-गली में मनुष्यों की कटी और जली लाशें बिखरी पड़ीं थीं..
हर तफ़र सन्नाटा था..
पुलिस सड़कों पर घूम रही थी..
कर्फ्यू लगा हुआ था..
आज कौवे के बच्चे ने भी कौवेे से दो पैर वाले मनुष्य का शिकार करना सीख लिया था..
कौवे के बच्चे ने कौवे से पूछा अगर दो पैर वाला मनुष्य हमारी चालाकी समझ गया तो हमारा ये तरीका तो बेकार हो जायेगा..
कौवे ने कहा सदियाँ गुज़र गईं मगर आज तक दो पैर वाला मनुष्य हमारे इस जाल में फंसता ही चला आ रहा है..
सूअर या गाय के माँस का एक जरा सा टुकड़ा, इन हजारों दो पैर वाले मनुष्यो को पागल कर देता है,
वो एक दूसरे को ही मारने - काटने लग जाते हैं और हम आराम से उन्हें खाते हैं..
मुझे नहीं लगता की कभी भी उसे इतनी अक़ल आने वाली है, चाहे को कितना भी पड़ा लिखा व समझदार क्यों न हो जाये पर ये नहीं समझ पाता ह की केवल मांस के टुकड़े से कुछ नहीं होता ।
कौवे के बेटे ने कहा क्या कभी भी किसी ने इन्हें समझाने की कोशिश नहीं की..
कौवे ने कहा एक बार एक ने इन्हें समझाने की कोशिश की थी, मनुष्यों ने उसे सेकुलर सेकुलर कह के मार दिया..
इस कहानी का उद्देश्य केवल मात्र मानव को समझाना हे न की किसी धर्म या मजहब को किसी प्रकार से ठेस पहुँचाना । हम सब एक हे सभी में लाल रक्त का प्रवाह होता हे। जब कोई भी बच्चा पैदा होता हे तो उसका कोई धर्म या मजहब नही होता ये धर्म या मजहब तो यहाँ हम इस दुनिया में आने पर उसे देते हे ।
काश ये छोटी छोटी सी बातें हम सभी इंसानो को समझ आ सके तो पूरी दुनिया में खुशनुमा माहोल हो जायेगा और ये दुनिया ही स्वर्ग से कम नहीं होगी ।
Narsikar Renukadas

Wednesday 5 June 2013

Factors affecting democracy


Religion 

Religion 

as a major cultural influence plays an important role in politics. Political party support depends greatly on differentiating the electorate along religious lines. The major religious communities are those of the Hindus (although not a homogeneous block), the Muslims (again they too are differentiated as Shias and Sunnis) and the Sikhs; and many political parties are identified by the religion of their supporters. Many national religious issues are the key points of the success in elections. Even some of the political leaders use religion for their own sake and as a medium for their political stability.

Caste 

The caste system crosses religious boundaries to affect both Hindu and Muslim people. Hindus have four main castes and hundreds of sub-castes. Many political parties draw supporters from specific castes or sub-castes. The four main castes are Brahmins, kshatriyas, vaishyas and shudras. Brahmins, historically, were the upper caste and presided over religious rituals. Kshatriyas were rulers and warriors. Vaishyas were merchants, businessmen etc. Shudras were the most oppressed and mostly worked for other castes and were involved in the so-called 'impure' professions like cleaning and handling of corpses.

Population 

India is the second most populous country in the world, next only to China. The over a billion population poses a challenge to the state's ability to provide everyone with jobs, health-care, education and other public services. Slowing down the rate of population growth has been a major issue for governments, over time. India being a democratic country the ever increasing population can only be checked by voluntary means, with the informed consent of the people.[2] With the current growth rate, India is set to leave China behind by 2020.

Development 

India is still an emerging economy, setting the pace and shape of development. India began as an explicitly socialist nation and continues with a large public-sector and many constraints on private enterprise, although recent governments have reduced some of these restrictions. Their reward has been faster economic growth, particularly through the growth of trade-oriented industry. Some recent governments were voted out due to a sluggish economy.

Regions 

India is very densely populated. Some advocate[who?] splitting some twenty eight states and seven union territories.It is the second most populated country of the world

Other factors 

Factors such as education, corruption, women's issues, student politics, criminalization of politics, leadership strategies and the design of political institutions affect national and local politics.[3]Some other factors such as the caste issue, environment policy, new long-term investment in the economy by foreigners etc., also have a bearing.

Illiteracy 

In India around 25% of people are illiterate.

Criticisms 

Abuse of Power by the Elected Representatives 

The election process in India is pivoted around the commonwealth concept of representative democracy which was once thought to save the world from monarchy and autocracy. Even though the representative form of democracy has succeeded in driving the nation for the past 60 years, in practice it has yet to be implemented fully. Some of the elected representatives enjoy all their privileges without being accountable for their duties, the dereliction of which goes unchecked along with influence peddling, nepotism, cronyism and willful negligence. They walk away scot-free, have no qualms about wrongdoing and get elected yet again, which bears testimony to their denigration of the democracy in India

Elitism of Dynasties 

Of the 65 years of post-independence rule, almost 60% of the time in office was held directly by Prime Ministers from the Nehru-Gandhi family and currently, some 12%, again by another member from the same family, where the power to rule vests in her by proxy, overlooking hundreds of other eligible, efficient though, unfortunate political activists. This trend is no different at the level of the states too. Leading politicians are often accused of declaring and initiating their sons, daughters and other progeny, as heirs apparent, giving them a headstart into power-politics.


Source:-  Wekipidia