Sunday 17 May 2015

सेकुलर की सीख

एक दिन एक कौवे के बच्चे ने कौवे से कहा कि हमने लगभग हर चार पैर वाले जीव का माँस खाया है, मगर आज तक दो पैर पर चलने वाले जीव का माँस नहीं खाया है..
पापा कैसा होता है इंसानों का माँस ?
कौवे ने कहा मैंने भी जीवन में तीन बार ही खाया है, बहुत ही स्वादिष्ट होता है..
कौवे के बच्चे ने कहा तो आज मुझे भी खाना है..
कौवे ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा चलो खिला देता हूँ..
बस मैं जैसा जैसा मैं कह रहा हूँ तुम भी वैसे ही करना..
मैंने भी ये तरीका अपने पुरखों से ही सीखा है..
कौवे ने अपने बेटे को एक जगह रुकने को कहा और थोड़ी देर बाद माँस के दो टुकड़े उठा लाया..
कौवे के बच्चे ने खाया तो कहा की ये तो जानवर के माँस जैसा लग रहा है..
कौवे ने कहा अरे ये खाने के लिए नहीं है..
इससे तो ढेर सारा माँस बनाया जा सकता है..
जैसे दही जमाने के लिए थोड़ा सा दही दूध में डाल कर छोड़ दिया जाता है,
वैसे ही इसे कहीं-कहीं छोड़ कर आना है..
बस फिर देखना कल तक कितना स्वादिष्ट माँस मिलेगा, और वो भी मनुष्य का..
कौवे के बच्चे को बात समझ में नहीं आई मगर वो कौवे का
जादू देखने के लिए उत्सुक था तो वो कौवे के पीछे पीछे चलता चला गया ..
कौवे ने उन दो माँस के टुकड़ों में से एक टुकड़ा एक मंदिर में और दूसरा पास की एक मस्जिद में गिरा दिया..
तब तक शाम हो चली थी, कौवे ने कहा अब कल सुबह तक हम सभी को ढेर सारा दो पैर वाले जीव का माँस मिलने वाला है.
बस फिर क्या ......... सुबह सवेरे कौवे और उसके बच्चे ने देखा तो सचमुच गली-गली में मनुष्यों की कटी और जली लाशें बिखरी पड़ीं थीं..
हर तफ़र सन्नाटा था..
पुलिस सड़कों पर घूम रही थी..
कर्फ्यू लगा हुआ था..
आज कौवे के बच्चे ने भी कौवेे से दो पैर वाले मनुष्य का शिकार करना सीख लिया था..
कौवे के बच्चे ने कौवे से पूछा अगर दो पैर वाला मनुष्य हमारी चालाकी समझ गया तो हमारा ये तरीका तो बेकार हो जायेगा..
कौवे ने कहा सदियाँ गुज़र गईं मगर आज तक दो पैर वाला मनुष्य हमारे इस जाल में फंसता ही चला आ रहा है..
सूअर या गाय के माँस का एक जरा सा टुकड़ा, इन हजारों दो पैर वाले मनुष्यो को पागल कर देता है,
वो एक दूसरे को ही मारने - काटने लग जाते हैं और हम आराम से उन्हें खाते हैं..
मुझे नहीं लगता की कभी भी उसे इतनी अक़ल आने वाली है, चाहे को कितना भी पड़ा लिखा व समझदार क्यों न हो जाये पर ये नहीं समझ पाता ह की केवल मांस के टुकड़े से कुछ नहीं होता ।
कौवे के बेटे ने कहा क्या कभी भी किसी ने इन्हें समझाने की कोशिश नहीं की..
कौवे ने कहा एक बार एक ने इन्हें समझाने की कोशिश की थी, मनुष्यों ने उसे सेकुलर सेकुलर कह के मार दिया..
इस कहानी का उद्देश्य केवल मात्र मानव को समझाना हे न की किसी धर्म या मजहब को किसी प्रकार से ठेस पहुँचाना । हम सब एक हे सभी में लाल रक्त का प्रवाह होता हे। जब कोई भी बच्चा पैदा होता हे तो उसका कोई धर्म या मजहब नही होता ये धर्म या मजहब तो यहाँ हम इस दुनिया में आने पर उसे देते हे ।
काश ये छोटी छोटी सी बातें हम सभी इंसानो को समझ आ सके तो पूरी दुनिया में खुशनुमा माहोल हो जायेगा और ये दुनिया ही स्वर्ग से कम नहीं होगी ।
Narsikar Renukadas

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