कांग्रेस का घोषणापत्र: देश के विरोध में बोलना करना अपराध नहीं होगा
दिनांक 02-अप्रैल-2019
कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है
कांग्रेस ने वर्ष 2019 के आम चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस ने इसे जनआवाज नाम दिया है और इसका शीर्षक रखा है ‘हम निभायेंगे’। पूरे घोषणापत्र पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। पूरे घोषणापत्र से तीन बिंदु सामने आते हैं,
1. नेहरू-इंदिरा काल के नारों के बाद कांग्रेस का कोई बौद्धिक-मानसिक विकास नहीं हुआ है। घोषणापत्र में जो भी घोषणाएं हैं, वे उन्हीं नारों को पूरा करने के लिए हैं जो नेहरू-इंदिरा काल में गढ़ी गयी थीं और जिन्हें कांग्रेस आज तक निभा नहीं पायी। यह दीगर है कि कांग्रेस ने घोषणापत्र का शीर्षक ‘हम निभायेंगे’ रखा है। शायद यह शीर्षक इस ग्लानिभाव का प्रकटीकरण है कि आज तक नहीं निभाया, जनता एक बार फिर मौका दे तो निभाने की कोशिश करेंगे।
2. जनआवाज नाम से इस घोषणापत्र में शुरुआत में यह बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कोने-कोने में लोगों से मुलाकात की और उनकी आवाज को इस घोषणापत्र में शामिल किया गया। लेकिन घोषणापत्र देखने से साफ होता है कि जो अधिकांश नयी बातें वही हैं जो नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही कर चुकी है या कर रही है।
3. घोषणापत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा, जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है और सेना के प्रति कांग्रेस के मन में अविश्वास है और देश विरोधी बातें करना कांग्रेस की नजर में कोई अपराध नहीं है।
सबसे पहले आते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर संबंधी नीतियों पर। कांग्रेस ने राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात कही है। विगत 15 वर्षों (10 वर्ष यूपीए सरकार+5 वर्ष एनडीए सरकार) में देश ने देखा कि किस तरह कांग्रेसी नेताओं महज वोट बैंक के चक्कर में हिंदू आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा, इस सिद्धांत को साबित करने के लिए राष्ट्रप्रेमी सैन्यकर्मियों और हिंदू धर्म के संतों को साजिशन फंसाया। इसके अलावा, कांग्रेस के बौद्धिक खुराक में सहगामी वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सीधे-सीधे देश के टुकड़े करने के नारे लगाये और कांग्रेस किस तरह इनकी तरफदारी करती नजर आयी, यह देश ने देखा। राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन की बात इसी मानसिकता के पोषण के लिए है। निश्चित तौर पर देश की जनता देश के टुकड़े करने के पक्ष में नहीं है और राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात जनआवाज न होकर कांग्रेस में घर कर गयी देश विरोधी मानसिकता का सबूत है।
इसी तरह उग्रवाद ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट (अफस्पा) यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट की समीक्षा की बात भी कांग्रेस के घोषणापत्र में कही गयी है जो स्पष्ट रूप से उग्रवादी कार्रवाइयों से निपटने में सेना के पंख कतरने जैसी बात है। कांग्रेस सत्ता में आने पर नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने का भी वादा करती है यानी पूर्व की तरह बांग्लादेशी मुसलमानों के भारत में घुसपैठ से देश की जनांकिकी बदले जाने को कांग्रेस संकट मानने की बजाय अपने चुनावी लाभ के अनुकूल मानती है।
कांग्रेस ने बड़े छिपे ढंग से रोहिंग्या मुसलमानों की भी तरफदारी अपने घोषणापत्र में की है। वह शरणार्थियों के शरण देने के मामले में देश हित को नजरअंदाज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की आड़ लेती दिखती है। सेना के मामले में एक दिलचस्प घोषणा यह है कि कांग्रेस ने वन रैंक वन पेंशन पर वादा निभाने की बात की है जिसे यूपीए शासनकाल में पूरा न किये जाने पर मोदी सरकार ने लागू किया है। अब कांग्रेस इसमें विसंगतियां दूर करने की बात कर रही है।
आतंकवाद, खासकर सीमापार आतंकवाद पर कांग्रेस कोई नयी सोच पेश करने में विफल रही है। उसने मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे कार्य को ही दूसरे शब्दों में अपने घोषणापत्र में शामिल किया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि कांग्रेस दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद का विरोध करती है और आतंकवादी गुटों, आतंकवादी घटनाओं और सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने का वायदा करती है। हम संयुक्त राष्ट्र को आतंकवादियों की सूची की लगातार समीक्षा करने और प्रतिबन्धों के दायर का विस्तार करने के लिए राजी करेंगे।
घोषणापत्र कहता है कि हम दुनिया के आम देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये। हम दुनिया के अन्य देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये।
कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र नौजवानों, किसानों और गरीबों का वोट लेने के मद्देनजर बनाया है। नौजवानों को 22 लाख सरकारी पदों पर भर्ती का झुनझुना पकड़ाया गया है। लेकिन कांग्रेस घोषणापत्र में यह कहीं नहीं बताया गया है कि सत्ता में आने पर हर वर्ष रोजगार के लिए तैयार होने वाले नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन वह कैसे करेगी। इस संदर्भ में एक हास्यास्पद बात कही गयी है कि कंपनियों द्वारा विद्यार्थियों को कराये जाने वाले अप्रैंटिसशिप को रोजगार माना जायेगा और कंपनियों से कहा जायेगा कि जगह बनने पर वे अपने यहां अप्रैंटिसशिप किये अभ्यर्थियों को समायोजित करें। इसके अलावा रोजगार सृजन के लिए कांग्रेस मोदी सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी ने लागू नीतियों पर निर्भर है। स्पष्ट है रोजगार के मोर्चे पर कांग्रेस के पास कोई विजन नहीं है।
कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए दो बड़ी बातें कहीं हैं, एक तो यह कि वह रेल बजट की तर्ज पर कृषि के लिए अलग से बजट लायेगी। दूसरे यह कि किसानों द्वारा कर्ज अदायगी न किये जाने पर उसे क्रिमिनल अफेंस की बजाय सिविल अफेंस माना जायेगा। इसके अलावा कांग्रेस घोषणापत्र में मोदी सरकार पर फसल समर्थन मूल्य न बढ़ाने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद की कृषि और किसान संबंधी सारी बातें वहीं हैं जो मोदी सरकार पहले ही क्रियान्वित कर रही है। ग्रामीण आबादी को झुनझुना पकड़ाने के लिए कांग्रेस ने मनरेगा में 100 दिन की बजाय अब 150 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने की बात कही है। इस बात से स्पष्ट है कि कांग्रेस नौजवानों का कौशल विकसित कर उन्हें आगे बढ़ाने की बजाय महज दान पर जिलाना चाहती है और देश की उत्पादकता से कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है।
यही ध्वनि न्यूनतम आय गारंटी योजना से भी आती है। न्यूनतम आय गारंटी योजना से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस नेहरू-इंदिरा काल के बाद नये भारत के अनुरूप अपने दृष्टिकोण में कोई विकास नहीं कर पायी है और थक-हार कर पांच दशक पुराने गरीबी उन्मूलन के नारे-वादे पर ही आज भी सत्ता में आने के सपने संजो रही है। हालांकि गरीबी उन्मूलन के लिए फिर से वादा करना यह भी बताता है कि कांग्रेस ने आज तक कितना निभाया।
साभार
दिनांक 02-अप्रैल-2019
कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है
कांग्रेस ने वर्ष 2019 के आम चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस ने इसे जनआवाज नाम दिया है और इसका शीर्षक रखा है ‘हम निभायेंगे’। पूरे घोषणापत्र पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के पास नये भारत के निर्माण के लिए अपना या कोई नया विजन नहीं है। पूरे घोषणापत्र से तीन बिंदु सामने आते हैं,
1. नेहरू-इंदिरा काल के नारों के बाद कांग्रेस का कोई बौद्धिक-मानसिक विकास नहीं हुआ है। घोषणापत्र में जो भी घोषणाएं हैं, वे उन्हीं नारों को पूरा करने के लिए हैं जो नेहरू-इंदिरा काल में गढ़ी गयी थीं और जिन्हें कांग्रेस आज तक निभा नहीं पायी। यह दीगर है कि कांग्रेस ने घोषणापत्र का शीर्षक ‘हम निभायेंगे’ रखा है। शायद यह शीर्षक इस ग्लानिभाव का प्रकटीकरण है कि आज तक नहीं निभाया, जनता एक बार फिर मौका दे तो निभाने की कोशिश करेंगे।
2. जनआवाज नाम से इस घोषणापत्र में शुरुआत में यह बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कोने-कोने में लोगों से मुलाकात की और उनकी आवाज को इस घोषणापत्र में शामिल किया गया। लेकिन घोषणापत्र देखने से साफ होता है कि जो अधिकांश नयी बातें वही हैं जो नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही कर चुकी है या कर रही है।
3. घोषणापत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा, जम्मू एवं कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर मामलों पर कही गयी बातों से स्पष्ट झलकता है कि कांग्रेस अब भी मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही कुटिलता से अपनी नीतियां तय करती है और सेना के प्रति कांग्रेस के मन में अविश्वास है और देश विरोधी बातें करना कांग्रेस की नजर में कोई अपराध नहीं है।
सबसे पहले आते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, पाकिस्तान और पूर्वोत्तर संबंधी नीतियों पर। कांग्रेस ने राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात कही है। विगत 15 वर्षों (10 वर्ष यूपीए सरकार+5 वर्ष एनडीए सरकार) में देश ने देखा कि किस तरह कांग्रेसी नेताओं महज वोट बैंक के चक्कर में हिंदू आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा, इस सिद्धांत को साबित करने के लिए राष्ट्रप्रेमी सैन्यकर्मियों और हिंदू धर्म के संतों को साजिशन फंसाया। इसके अलावा, कांग्रेस के बौद्धिक खुराक में सहगामी वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सीधे-सीधे देश के टुकड़े करने के नारे लगाये और कांग्रेस किस तरह इनकी तरफदारी करती नजर आयी, यह देश ने देखा। राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन की बात इसी मानसिकता के पोषण के लिए है। निश्चित तौर पर देश की जनता देश के टुकड़े करने के पक्ष में नहीं है और राष्ट्रद्रोह के कानून में संशोधन की बात जनआवाज न होकर कांग्रेस में घर कर गयी देश विरोधी मानसिकता का सबूत है।
इसी तरह उग्रवाद ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट (अफस्पा) यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट की समीक्षा की बात भी कांग्रेस के घोषणापत्र में कही गयी है जो स्पष्ट रूप से उग्रवादी कार्रवाइयों से निपटने में सेना के पंख कतरने जैसी बात है। कांग्रेस सत्ता में आने पर नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने का भी वादा करती है यानी पूर्व की तरह बांग्लादेशी मुसलमानों के भारत में घुसपैठ से देश की जनांकिकी बदले जाने को कांग्रेस संकट मानने की बजाय अपने चुनावी लाभ के अनुकूल मानती है।
कांग्रेस ने बड़े छिपे ढंग से रोहिंग्या मुसलमानों की भी तरफदारी अपने घोषणापत्र में की है। वह शरणार्थियों के शरण देने के मामले में देश हित को नजरअंदाज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की आड़ लेती दिखती है। सेना के मामले में एक दिलचस्प घोषणा यह है कि कांग्रेस ने वन रैंक वन पेंशन पर वादा निभाने की बात की है जिसे यूपीए शासनकाल में पूरा न किये जाने पर मोदी सरकार ने लागू किया है। अब कांग्रेस इसमें विसंगतियां दूर करने की बात कर रही है।
आतंकवाद, खासकर सीमापार आतंकवाद पर कांग्रेस कोई नयी सोच पेश करने में विफल रही है। उसने मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे कार्य को ही दूसरे शब्दों में अपने घोषणापत्र में शामिल किया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि कांग्रेस दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद का विरोध करती है और आतंकवादी गुटों, आतंकवादी घटनाओं और सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने का वायदा करती है। हम संयुक्त राष्ट्र को आतंकवादियों की सूची की लगातार समीक्षा करने और प्रतिबन्धों के दायर का विस्तार करने के लिए राजी करेंगे।
घोषणापत्र कहता है कि हम दुनिया के आम देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये। हम दुनिया के अन्य देशों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए लामबंद करेंगे कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियों और आतंकवादी समूहों पर रोक लगाये।
कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र नौजवानों, किसानों और गरीबों का वोट लेने के मद्देनजर बनाया है। नौजवानों को 22 लाख सरकारी पदों पर भर्ती का झुनझुना पकड़ाया गया है। लेकिन कांग्रेस घोषणापत्र में यह कहीं नहीं बताया गया है कि सत्ता में आने पर हर वर्ष रोजगार के लिए तैयार होने वाले नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन वह कैसे करेगी। इस संदर्भ में एक हास्यास्पद बात कही गयी है कि कंपनियों द्वारा विद्यार्थियों को कराये जाने वाले अप्रैंटिसशिप को रोजगार माना जायेगा और कंपनियों से कहा जायेगा कि जगह बनने पर वे अपने यहां अप्रैंटिसशिप किये अभ्यर्थियों को समायोजित करें। इसके अलावा रोजगार सृजन के लिए कांग्रेस मोदी सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी ने लागू नीतियों पर निर्भर है। स्पष्ट है रोजगार के मोर्चे पर कांग्रेस के पास कोई विजन नहीं है।
कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए दो बड़ी बातें कहीं हैं, एक तो यह कि वह रेल बजट की तर्ज पर कृषि के लिए अलग से बजट लायेगी। दूसरे यह कि किसानों द्वारा कर्ज अदायगी न किये जाने पर उसे क्रिमिनल अफेंस की बजाय सिविल अफेंस माना जायेगा। इसके अलावा कांग्रेस घोषणापत्र में मोदी सरकार पर फसल समर्थन मूल्य न बढ़ाने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद की कृषि और किसान संबंधी सारी बातें वहीं हैं जो मोदी सरकार पहले ही क्रियान्वित कर रही है। ग्रामीण आबादी को झुनझुना पकड़ाने के लिए कांग्रेस ने मनरेगा में 100 दिन की बजाय अब 150 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने की बात कही है। इस बात से स्पष्ट है कि कांग्रेस नौजवानों का कौशल विकसित कर उन्हें आगे बढ़ाने की बजाय महज दान पर जिलाना चाहती है और देश की उत्पादकता से कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है।
यही ध्वनि न्यूनतम आय गारंटी योजना से भी आती है। न्यूनतम आय गारंटी योजना से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस नेहरू-इंदिरा काल के बाद नये भारत के अनुरूप अपने दृष्टिकोण में कोई विकास नहीं कर पायी है और थक-हार कर पांच दशक पुराने गरीबी उन्मूलन के नारे-वादे पर ही आज भी सत्ता में आने के सपने संजो रही है। हालांकि गरीबी उन्मूलन के लिए फिर से वादा करना यह भी बताता है कि कांग्रेस ने आज तक कितना निभाया।
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